आज के डिजिटल युग में ऑनलाइन गेमिंग केवल मनोरंजन का साधन नहीं रह गया है, बल्कि यह एक बड़े उद्योग का रूप ले चुका है। स्मार्टफोन और सस्ती इंटरनेट सेवाओं की वजह से भारत में करोड़ों लोग ऑनलाइन गेम्स खेलते हैं। चाहे वह PUBG Mobile, BGMI, Free Fire, Call of Duty जैसे बैटल रॉयल गेम्स हों या फिर छोटे-छोटे कैजुअल गेम्स जैसे Ludo King और Candy Crush, हर उम्र के लोग कहीं न कहीं इससे जुड़े हुए हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन गेमिंग पर विवाद भी बढ़े हैं। और कई राज्यों ने इस पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश किया है, वहीं केंद्र सरकार ने इसे प्रबंधित करने के लिए कानून बनाए हैं।
क्यों पड़ी ऑनलाइन गेमिंग पर रोक लगाने की ज़रूरत?
ऑनलाइन गेमिंग पर रोक या नियंत्रण लगाने के पीछे कई कारण हैं:
लत (Addiction) का खतरा – बच्चे और युवा घंटों-घंटों मोबाइल पर गेम खेलने लगते हैं, जिससे पढ़ाई, नींद और स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है।
आर्थिक नुकसान – कई गेम्स “इन-ऐप पर्चेज़” और “रियल मनी गेम्स” के जरिए पैसे कमाने का लालच देते हैं। इससे कई लोग कर्ज में डूब जाते हैं या अपना मेहनत की कमाई गंवा देते हैं।
जुआ (Gambling) का रूप – कई ऑनलाइन गेम्स में असल पैसे की बाज़ी लगता है। इससे यह जुए के समान हो जाते हैं और समाज पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
सुरक्षा और डेटा चोरी – कुछ विदेशी ऐप्स यूज़र्स का डाटा चीन समेत अन्य देशों को भेजते हैं। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
हिंसा और व्यवहार – शूटिंग और बैटल गेम्स बच्चों में आक्रामक प्रवृत्ति बढ़ा सकते हैं।
भारत सरकार का रुख
भारत सरकार ने पूरी तरह से ऑनलाइन गेमिंग को बैन नहीं किया है, बल्कि इसे प्रबंधित (Regulate) करने का रास्ता चुना है। सरकार का मानना है कि ऑनलाइन गेमिंग को सही तरीके से नियंत्रित किया जाए तो यह उद्योग देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार में भी योगदान कर सकता है।
आईटी नियम 2023 (IT Rules 2023) के तहत सरकार ने कहा है कि “रियल मनी गेम्स” (जहाँ लोग पैसे लगाकर खेलते हैं) को सख्ती से रेगुलेट किया जाएगा।
कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि गेम्स में गैर-कानूनी सट्टेबाज़ी या जुए का तत्व न हो।
बच्चों की सुरक्षा और समय प्रबंधन के लिए भी कई दिशा-निर्देश तय किए गए हैं।
राज्यों का अलग रुख
भारत के अलग-अलग राज्यों ने ऑनलाइन गेमिंग को लेकर अलग-अलग कानून बनाया हैं।
तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों ने “ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग” पर सीधा प्रतिबंध लगाने की कोशिश किया था।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई गेम कौशल (Skill) पर आधारित है और सिर्फ किस्मत (Luck) पर निर्भर नहीं है, तो उसे खेलना गैर-कानूनी नहीं माना जा सकता।
इसके चलते कई राज्यों को अपने कानूनों में बदलाव करने पड़े थे।
ऑनलाइन गेमिंग उद्योग का भविष्य
भारत में ऑनलाइन गेमिंग का बाजार तेज़ी से बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2025 तक भारतीय गेमिंग इंडस्ट्री का मूल्य 5 अरब डॉलर से ज्यादा हो सकता है। ई-स्पोर्ट्स और स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स की लोकप्रियता भी युवाओं को आकर्षित कर रहा है।
यदि सरकार सही ढंग से नियम बनाता है। तो और कंपनियां पारदर्शिता के साथ काम करता हैं, तो यह क्षेत्र युवाओं के लिए रोजगार, ई-स्पोर्ट्स करियर और टेक्नोलॉजी में नए अवसर प्रदान कर सकता है।
फायदे और नुकसान
फायदे:
- रोजगार और नए उद्योग का विकास
- युवाओं को ई-स्पोर्ट्स में करियर बनाने का अवसर
- भारत में गेमिंग टेक्नोलॉजी का विकास
नुकसान:
- लत और स्वास्थ्य पर असर
- जुए और पैसों के नुकसान का खतरा
- बच्चों के मानसिक विकास पर नकारात्मक असर
नतीजा
ऑनलाइन गेमिंग को भारत में पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं किया गया है, बल्कि इसे नियंत्रित किया गया है। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग गेम्स का आनंद तो लें, लेकिन समाज पर उसके नकारात्मक प्रभाव न पड़ें। ज़रूरत इस बात किया है कि माता-पिता, सरकार और कंपनियाँ मिलकर जिम्मेदारी से काम करें, ताकि ऑनलाइन गेमिंग बच्चों और युवाओं के लिए केवल मनोरंजन और अवसर का साधन बने, न कि खतरे का।
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