नाइटवॉचमैन की ऐतिहासिक पारी: टेस्ट में भारत के लिए सबसे बड़ा स्कोर

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भारत के लिए टेस्ट में नाइटवॉचमैन द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा स्कोर: एक गौरवशाली पारी की कहानी

टेस्ट क्रिकेट में “नाइटवॉचमैन” शब्द अपने आप में एक दिलचस्प रणनीति को दर्शाता है। जब दिन का खेल खत्म होने वाला हो और एक प्रमुख बल्लेबाज आउट हो जाए, तो टीम एक गेंदबाज़ को बल्लेबाज़ी के लिए भेजते है ताकि वो मुख्य बल्लेबाज़ को अगले दिन तक सुरक्षित रख सके। ऐसे में उस गेंदबाज़ का लक्ष्य केवल क्रीज पर टिके रहना होता है, रन बनाना नहीं। लेकिन जब यही नाइटवॉचमैन अपना जिम्मेदारी से आगे बढ़कर शानदार बल्लेबाज़ी कर देता है, तो वह पल इतिहास बन जाता है।

भारत के टेस्ट क्रिकेट इतिहास में भी एक ऐसा ही लम्हा आया था, जब एक नाइटवॉचमैन ने ऐसी पारी खेली जिसने हर किसी को चौंका दिया। हम बात कर रहे हैं जसप्रीत बुमराह या अनिल कुंबले की नहीं, बल्कि ईश्वर पांडे या अश्विन की भी नहीं — बल्कि इस गौरव की असली हकदार हैं जसप्रीत बुमराह नहीं, बल्कि ईश्वरन नहीं, बल्कि ईश्वर पांडे भी नहीं।

असल में, साल 2006 में, ईशांत शर्मा को नाइटवॉचमैन बनाकर भेजा गया था, लेकिन भारत की ओर से सबसे बड़ा स्कोर किसी नाइटवॉचमैन द्वारा जो दर्ज किया गया है, वह है इरफान पठान का 92 रन, जो उन्होंने 2005 में पाकिस्तान के खिलाफ फैसलाबाद टेस्ट में बनाया था।

इरफान पठान की वो ऐतिहासिक पारी

भारत और पाकिस्तान के बीच साल 2005-06 की टेस्ट सीरीज़ क्रिकेट प्रेमियों के लिए किसी रोमांचक फिल्म से कम नहीं था। दूसरा टेस्ट मैच फैसलाबाद में खेला गया, जहां पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 588 रन बनाए। भारत की शुरुआत थोड़ा लड़खड़ाई और जल्द ही इरफान पठान को नाइटवॉचमैन के रूप में क्रीज पर भेजा गया।

इरफान से किसी को ज्यादा उम्मीद नहीं था, क्योंकि वो एक तेज़ गेंदबाज़ थे और उनका काम सिर्फ कुछ ओवर खेलकर दिन का खेल खत्म करना था। लेकिन पठान ने जो किया, वह भारतीय क्रिकेट इतिहास में यादगार बन गया।

उन्होंने 92 रन की शानदार पारी खेला और भारत को मज़बूत स्थिति में पहुंचा दिया। उनका यह पारी सिर्फ एक गेंदबाज़ की बल्लेबाज़ी नहीं था, बल्कि एक जिम्मेदार बल्लेबाज़ की सूझबूझ और आत्मविश्वास का मिसाल था।

क्या खास था इस पारी में?

  • इरफान पठान ने 200 गेंदों का सामना करते हुए 12 चौके लगाए।
  • उन्होंने राहुल द्रविड़ के साथ मिलकर एक अहम साझेदारी निभाई, जिससे टीम का मनोबल बढ़ा।
  • पाकिस्तान की मजबूत गेंदबाज़ी में शोएब अख्तर और मोहम्मद आसिफ जैसे गेंदबाज़ शामिल थे, लेकिन इरफान डरे नहीं।

नाइटवॉचमैन का पारंपरिक रोल कैसे टूटा?

टेस्ट क्रिकेट में आमतौर पर नाइटवॉचमैन को भेजने का मतलब होता है, “बस टिके रहो, कल तक खेल को सुरक्षित ले जाओ।” लेकिन इरफान पठान ने इस भूमिका को नया रंग दिया। उन्होंने दिखाया कि अगर आत्मविश्वास और तकनीक हो, तो नाइटवॉचमैन भी एक बल्लेबाज़ से कम नहीं होता।

उनकी यह पारी खास इसलिए भी थी क्योंकि इससे यह समझ आया कि गेंदबाज़ भी टेस्ट में उपयोगी बल्लेबाज़ी कर सकते हैं, अगर उन्हें मौका और जिम्मेदारी दिया जाए।

इरफान पठान के बाद कोई और?

अगर हम साल 2000 के बाद भारत के अन्य नाइटवॉचमैन की बात करें, तो:

अनिल कुंबले ने कई बार नाइटवॉचमैन के रूप में भूमिका निभाई, लेकिन उनका सर्वोच्च स्कोर 88 रहा है जो उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 2007 में ओवल टेस्ट में बनाया था, पर वो नाइटवॉचमैन के रूप में नहीं आया था। ईशांत शर्मा ने 2014 में लॉर्ड्स में एक यादगार गेंदबाज़ी प्रदर्शन किया था, लेकिन बल्लेबाज़ी में उनका खास योगदान नहीं रहा।

नाइटवॉचमैन के तौर पर 92 रन: एक दुर्लभ उपलब्धि

इरफान पठान की यह पारी केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में भी सबसे बड़ा नाइटवॉचमैन पारियों में गिना जाता है। कुछ और उदाहरण भी हैं जैसे ऑस्ट्रेलिया के जेसन गिलेस्पी, जिन्होंने नाइटवॉचमैन के रूप में दोहरा शतक (201*) ठोका था। लेकिन भारत की बात करें, तो पठान का यह 92 रन अब भी सबसे ऊँचा स्कोर है।

निष्कर्ष: एक गेंदबाज़ की बैटिंग क्लास

इरफान पठान की यह पारी इस बात का प्रमाण है कि क्रिकेट में भूमिका चाहे जो भी हो, अगर खिलाड़ी के पास आत्मविश्वास, तकनीक और दृढ़ निश्चय हो तो वह कुछ भी कर सकता है। एक तेज़ गेंदबाज़ का इस तरह से कंधे पर ज़िम्मेदारी लेना और टीम को संभालना, भारत के टेस्ट इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा।

इरफान की यह पारी ना सिर्फ एक क्रिकेट आंकड़ा है, बल्कि एक प्रेरणा है उन सभी खिलाड़ियों के लिए जिन्हें कम आंका जाता है।अगर आपको यह ब्लॉग पसंद आया हो तो इसे शेयर करें और न्यूज की दुनिया से जुड़ी खबरों के लिए जुड़े रहें।

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